दुख इस बात का है सब थे आप नहीं
आर्यन चैप्टर 𝟙𝟚
अब तक आपने पढ़ा जीनी आरव को बताती है की वो आर्यन से प्यार करती है रंधीर बताता है की जीनी उसे मिल गई है और वो जल्दी ही उसे कोठे पर बिठा देगा आर्यन जीनी से माफी मांगते हुए कहता है की उसने जीनी से बदला लेने के लिए सब किया.....
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अब आगे
जीनी खुद को उससे दूर करती है, और उसकी आँखो में देखते हुए कहती है, "किस बात का बदला ले रहे थे आप, उस बात का जिसमें मेरी कोई गलती थी ही नहीं, मैंने कुछ नहीं किया था मुझसे करवाया गया था, मजबूर किया गया था"
जीनी की आँखो में आँसू आ जाते हैं, आर्यन उसे कुछ कहने वाला होता है तभी
जिनी उसका कॉलर पकड़ लेती है और रोते हुए कहती हैं "आप क्यों चले गए थे, आखिर क्यों? जिन थी ना मैं आपकी, तो आपने अपना हक क्यों नहीं जताया? क्यों छोड़ दिया मुझे उन सबके बीच?"
जीनी अपने आंसु पोछते हुए कहती है
"उन्होंने सब कुछ छीन लिया, सब कुछ ,इतने साल में किस डर में जी, सिर्फ मैं जानती हूं, आप नहीं थे मेरे साथ , नहीं थे आप मेरे साथ में अकेली थी.. अकेली थी मैं, आपको तो पता ही नहीं आपके जाने के बाद क्या हुआ"
जीनी वही घुटने के बल बैठ जाती है, और अपना चेहरा हाथों से ढक कर रोने लगती है..
"आप कुछ नहीं जानते ,आपने अपनी नफरत में हमारा रिश्ता, हमारा प्यार सब भुला दिया सब कुछ, आपने मुझे उन सबके बीच अकेला छोड़ दियादिया" जिनी को इस हालत में देख आर्यन का दिल टूट रहा था, उसे घुटन हो रही थी अपने आप से नफ़रत हो रही थी
आर्यन उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए कहता है "मुझे माफ कर दो जीन मैं अपने गुस्से में भूल ही गया की तुम वहाँ अकेली होगी, लेकिन वहाँ तो सब थे ना दद्दू, माँ पापा मेरे तुम्हारे फिर, और कहाँ थी तुम इतने साल? "
जिनी धीमी आवाज में कहती है " इसी बात का तो दुख है सब थे लेकिन आप नहीं, आपको याद है जब आपने मुझसे उस दिन शादी की थी मैं उस टाइम आपके पास ही सो गई थी":-
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11 साल पहले
रात के समय जिनी उठती है तो देखती हैं आरव ने उसे पकड़ रखा था, जिनी उसे चींटी काटती है तो और आरव अपना हाथ सहलाते हुए उठता है और जिनी को घूरते हुए कहता है "तुम पागल हो जिन इतनी जोर से काटा तुमने मुझे"
जिनी उसे धक्का देती है और घूरते हुए कहती हैं "तुम्हें शर्म नहीं आती ,इतनी जोर से पकड़ रखा है"
आरव सिर झुकाते हुए कहता है "आई एम सॉरी जिन, मैं थोड़ा डर गया था कहीं तुम चली ना जाओ"
तभी कौशल्या जी अंदर आते हुए कहती है "उठ गए तुम दोनों, हो गई सुबह"
जिन मुंह बनाते हुए कहती है "मां सुबह नहीं, रात हो गई है और यह आरु मुझे चैन से सोने भी नहीं देता"
कौशल्या जी जिनी का सिर सहलाते हुए कहती हैं "नहीं बेटा अब तुम जमाई सा का नाम नहीं ले सकती, वह तुम्हारे पति हैं"
जिनी एक नजर आरव को देखती है और मुंह बनाते हुए कहती हैं "इसका मैं नाम नहीं लूंगी तो क्या बोलूंगी, और इसे इतनी इज्जत नहीं दूंगी मैं"
कौशल्या जी उसे समझाते हुए कहती हैं "नहीं बेटा वह पति है तुम्हारे"
जिनी जिद करते हुए कहती है "नहीं मैं इसे आरु ही कहूंगी, मैं इसे कुछ और नहीं कहूंगी"
जिनी को जिद करते देख कौशल्य जी उसका कान पकड़ लेती हैं । जिनी कुछ कहती उससे पहले ही आरव कौशल्या जी का हाथ उसके कान से हटा देता है और उसे अपने पीछे करते हुए कहता है "आंटी उसे जो कहना है कहने दीजिए , आप उसे चोट नहीं पहुंचा सकती"
कौशल्या जी आरव को घूरते हुए कहती हैं कि "वह मेरी बेटी है मैं चाहे जो करुं"
आरव उन्हें वैसे ही घूरते हुए कहता है "फिर भी आप उसे दुखी नहीं कर सकती"
दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे तभी जिनी आरव के पीछे से झांकते हुए कहती है "जब तक आरू मेरे साथ है, तो मै किसी से नहीं डरती"
और हंसने लगती हैं । उसे हंसता देख आर्यन भी मुस्कुरा देता है कौशल्या जी मुस्कुराते हुए बाहर निकल जाती है तभी कर्मवीर जी कहते हैं "क्या बात है बहुत खुश लग रही हो? "
कौशल्या जी मुस्कुराते हुए कहती हैं "हां बहुत"
कर्मवीर जी उन्हें अपनी बाहों में भरते हुए कहते हैं "हमें भी बताओ हम भी खुश हो जाते हैं"
कौशल्या जी उनकी बांहों में कसमसाते हुए कहती हैं "यह आप क्या कर रहे हैं, छोड़िए मुझे"
कर्मवीर जी उन पर अपनी पकड़ कसते हुए कहते हैं "अरे भाई हम अपनी बीवी से बात कर रहे हैं"
कौशल्या जी मुंह बनाते हुए कहती "हां तो दूर रहकर भी बात की जा सकती है"
कर्मवीर जी मुस्कुराते हुए कहते हैं "नहीं हम तो ऐसे ही करेंगे, अब तुम यह बताओ क्या कह रही थी"
कौशल्या जी उनके गले में बांहें डालते हुए कहती हैं "तो पतिदेव वह हम इसलिए खुश हो रहे थे क्योंकि दमादजी हमारी बेटी को हम से भी ज्यादा चाहते हैं"
कर्मवीर जी उनकी तरफ बढ़ते हुए कहते हैं "वह क्या है ना, पति पत्नी से ज्यादा प्यार करता है,अब हमें भी देख लो" तभी उन्हें किसी की आवाज आती है "क्या बस ऐसे ही प्यार करते हैं पति-पत्नी से? "
उस आवाज को सुन दोनों अलग होते हैं तो देखते हैं वहां आरव खड़ा था, उसे वहां देख कौशल्या जी शर्मा कर भाग जाती है और करमवीर जी आरव के पास आते हैं और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं "प्यार और इज्जत दोनों करता है पति, और देखभाल भी"
तभी आरव मासूम सी शक्ल बनाते हुए कहता है "ऐसे अच्छा पति बनते हैं"
कर्मवीर जी बस हां में सिर हिला कर चले जाते हो
आरव कुछ सोच कर वापस आता है और जीनी को उठाते हुए कहते हैं जो दोबारा सो गई थी
" जिन उठो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है"
जिनी मुंह बनाते हुए उठती है और गुस्से में घूरते हुए कहती हैं "तुम फिर आ गए"
आरव थोड़ा शरमाते हुए कहता है "मैं तुमसे प्यार करने आया हूं"
जीनी उसे घूरते हुए कहती हैं "और वह कैसे करोगे" आरव उसके पास आता है और प्यार से उसे किस कर लेता है और वहां से भाग जाता है जिनी अपनी आंखें बड़ी बड़ी करके बस उसे देखती रह जाती है फिर मुँह बनाते हुए वह रेडी होने चली जाती है.....
क्या हुआ था 11 साल पहले हैं? इतने साल जीनी कहाँ थी? इतना प्यार करने के बाद भी आरव क्यों छोड़ गया था जीनी को? आरव क्यों आर्यन बन गया?
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी आर्यन इश्क़ की अनोखी दास्ताँ मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय बाय
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वानी